सैनिक कल्याण एवं पुर्नवास उत्तराखण्ड1
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भारत में सैनिक कल्याण एवं पुर्नवास का इतिहास


प्रथम विश्व युद्ध की समाप्ति पर दिनांक 07 सितम्बर 1919 को भारतीय सैनिक परिषद (Indian Soldiers Board) की स्थापना हुई। इस परिषद का उद्देश्य सरकार को सेवानिवृत, मृतक, अपंग सैनिकों तथा उनके आश्रितों के कल्याण एवं पुर्नवास के संबंध में सलाह प्रदान करना था। भारत की स्वतंत्रता के पश्चात इस परिषद का नाम बदलकर भारतीय सैनिक, नाविक तथा वैमानिक परिषद (Indian Soldiers, Sailors and Airmen Board) कर दिया गया। इस परिषद का नाम पुन: 1975 में बदलकर केन्द्रीय सैनिक बोर्ड रख दिया गया, जो एक संवैधानिक परिषद है। यह बोर्ड वर्तमान में रक्षा मंत्रालय के अधीन कार्य करता है और भारत की सशस्त्र सेनाओं में कार्यरत सेवानिवृत सैनिकों तथा उनके आश्रितों के कल्याण एवं पुर्नवास में अपना योगदान देता है। सेवानिवृत सैनिकों तथा उनके आश्रितों के पुर्नवास एवं कल्याण की महत्ता को समझते हुए मौजूदा सरकार द्वारा हाल ही में रक्षा मंत्रालय स्तर पर एक नये ‘पूर्व सैनिक कल्याण विभाग’ की स्थापना की है। यद्यपि सेवानिवृत सैनिकों तथा उनके आश्रितों के कल्याण संबंधी कार्यों की जिम्मेदारी केन्द्र तथा राज्य सरकार की है परन्तु इसके अधिकांश उत्तरदायित्व तथा उनकी समस्याओं का निदान राज्य सरकार द्वारा ही किया जाता है। अत: प्रत्येक राज्य में राज्य सरकार को परामर्श देने के लिए ‘राज्य सैनिक कल्याण परिषद‘ का गठन किया गया है। सैनिक कल्याण से संबंधित सभी कार्य जिला सैनिक कल्याण एवं पुर्नवास कार्यालयों के माध्यम से किये जाते हैं। जिला स्तर पर परामर्श देने के लिए जिलाधिकारी की अध्यक्षता में ‘जिला सैनिक परिषद‘ का गठन किया गया है। उत्तराखण्ड में 13 जनपदों में 14 जिला सैनिक कल्याण कार्यालय है।


भारत में सैनिक कल्याण एवं पुर्नवास व्यवस्था


भारत में पूर्व सैनिकों एवं उनके आश्रितों की विभिन्न समस्यओं के निराकरण एवं उन्हें सहायता प्रदान करने के लिए तथा दूरदराज के सीमावर्ती क्षेत्रों एवं अन्य स्थलों पर सेवारत सैनिकों के परिवारों को सहायता प्रदान करने हेतु केन्द्रीय एवं राज्य स्तर पर विशाल तंत्र सैनिक कल्याण एवं पुर्नवास के रूप में कार्यरत है। पूर्व सैनिकों एवं उनके आश्रितों के पुर्नवास एवं कल्याणार्थ केन्द्र सरकार की योजनाएं भी राज्य सैनिक एवं जिला सैनिक कल्याण कार्यालयों के माध्यम से ही संचालित होती है।


केन्द्रीय सैनिक बोर्ड – इसके अध्यक्ष रक्षा मंत्री भारत सरकार तथा सचिव सेवारत ब्रिगेडियर अथवा समकक्ष अधिकारी होते हैं। केन्द्रीय सैनिक बोर्ड के पूर्व सैनिक कल्याण संबंधी नीति निर्देशों का कार्यान्वयन, प्रदेश स्तर पर राज्य सैनिक कल्याण विभाग एवं जिला स्तर पर जिला सैनिक कल्याण कार्यालय के माध्यम से किया जाता है।


पुर्नवास महानिदेशालय- महानिदेशालय, पूर्व सैनिकों एवं उनके आश्रितों के पुर्नवास संबंधी समस्त गतिविधियों का संचालन करता है। इसके महानिदेशक सेवारत मेजर जनरल पद के अधिकारी होते हैं। इस महानिदेशालय का मुख्य उत्तरदायित्व सेवायोजन, स्वरोजगार एवं प्रशिक्षण हैं। कमांड स्तर पर क्षेत्रीय पुर्नवास निदेशक नियुक्त होते हैं, जो राज्य सैनिक कल्याण विभाग एवं जिला सैनिक कल्याण कार्यालयों के साथ समन्वय रखते हुए पुर्नवास कार्यों में सहायता करते हैं।


राज्य सैनिक कल्याण परिषद- प्रत्येक राज्य में पूर्व सैनिकों एवं उनके आश्रितों के कल्याणकारी योजनाओं के संबंध में दिशा-निर्देश व सलाह प्रदान करने के लिए मा0 मुख्यमंत्री जी की अध्यक्षता में ‘राज्य सैनिक कल्याण परिषद’ का गठन किया जाता है। निदेशक, सैनिक कल्याण इस परिषद का पदेन सचिव होते हैं।


जिला सैनिक कल्याण परिषद- प्रत्येक जनपद में पूर्व सैनिकों एवं उनके आश्रितों के कल्याणकारी योजनाओं के संबंध में सलाह देने के लिए जिलाधिकारी की अध्यक्षता में जिला सैनिक कल्याण परिषद का गठन किया गया है। जिला प्रशासन के सभी उच्चाधिकारी इस परिषद के सदस्य मनोनित किये जाते हैं। जिला सैनिक कल्याण एवं पुर्नवास अधिकारी इस परिषद का पदेन सचिव होते हैं।